बन्द आंखो के ख्वाब
बंद आंखों के ख्वाब को हकीकत समझते रहे।
उनके वक़्त बिताने को हम मोहब्बत समझते रहे।
ज़माना खूब आजमाता है,ज़रा संभल के चलना।
दिल टूटता गया और हम मरहम समझते रहे।
था उनसे इश्क़ या पागलपन या कुछ और भी सुनलो
वो मेरे ना थे पर बेवजह उनको अपना समझते रहे।
न जाने क्यों था उसकी आहट पर ये दिल बेहाल।
जो आया ही न कभी, हम उसे हमसफ़र समझते रहे।
कोई दीवाना ,कोई मजनू कोई रोमियो कोई फरहाद।
इन सब के सबब एक है ,हम अलग अलग समझते रहे।
और क्या खेलोगे तुम दिल ए रौशन से ए क़ातिल।
थे तुम क्या पर हम तुम्हे क्या क्या समझते रहे
रौशन
Seema Priyadarshini sahay
11-Nov-2021 05:42 PM
बहुत खूबसूरत
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Niraj Pandey
11-Nov-2021 10:17 AM
बहुत खूब
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Raushan
11-Nov-2021 01:08 PM
Thank u Sir
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Santosh Kumar Gaur
11-Nov-2021 06:32 AM
बहुत खूब दी...👌👌👌
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Raushan
11-Nov-2021 01:08 PM
Shukriya pyare bhai
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